Ragini
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अब और क्या रह गया है हमारे दरम्याँ बताओ तो सही?
कुछ बताके तो जाते चले गये हो मुझे तन्हा छोडकर ।
ये भी नहिं सोचा कि समाज के भेडिये मेरा क्या हाल करेंगे।
ना किसी को कुछ बता पाई ना किसी की बन पाई।
वो वादे -कसमे सब कुछ भूल गये हो।
मैं तो बस तूम्हारी यादें लिये जी रही हूं। कब आओगे?
क्या इंतज़ार ही करते रहना है मुझे?
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